देश के ग्रामीण और शहरी इलाकों में महिलाओं और बच्चों की देखभाल के लिए आंगनवाड़ी केंद्र बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन केंद्रों पर कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण की सेवाएं प्रदान करती हैं। लंबे समय से इनकी सबसे बड़ी समस्या कम वेतन रही है। कई बार सरकार से गुहार लगाने के बाद अब आखिरकार इनके मानदेय में बड़ी वृद्धि की घोषणा हुई है।
यह वेतन वृद्धि न सिर्फ आर्थिक प्रोत्साहन है बल्कि इनकी मेहनत और समर्पण का सम्मान भी है। सरकार द्वारा घोषित इस निर्णय से देशभर की लाखों कार्यकर्ता और सहायिकाएं लाभान्वित होंगी। ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा और बच्चों तक बेहतर सेवाएं पहुँचाने में उन्हें अधिक सुविधा होगी।
Anganwadi Workers Salary Hike
हाल ही में सरकार ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के मासिक मानदेय को बढ़ाने का फैसला लिया है। पहले जो राशि इन्हें मिलती थी, उससे अब इन्हें अधिक आय प्राप्त होगी। यह कदम “एकीकृत बाल विकास सेवा” यानी ICDS योजना के अंतर्गत उठाया गया है, जिसे केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिलकर संचालित करती हैं।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को अब पहले की तुलना में अधिक मानदेय मिलेगा, वहीं सहायिकाओं के वेतन में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी की गई है। इससे उनके कामकाज में उत्साह और आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। यह वृद्धि सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण दोनों की दिशा में सार्थक कदम है।
योजना के तहत सुविधाएं
आंगनवाड़ी योजना का मुख्य उद्देश्य बाल पोषण, स्वास्थ्य देखभाल और प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना है। इसके अंतर्गत छह साल तक के बच्चों को पोषण आहार दिया जाता है और गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को विशेष ध्यान में रखा जाता है।
अब जब कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का मानदेय बढ़ा है, तो उनके परिवार भी अधिक सुरक्षित रहेंगे। उन्हें आवश्यक खर्च पूरे करने में आसानी मिलेगी और वे बिना आर्थिक तनाव के अपने कर्तव्यों पर ध्यान दे पाएंगी। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि समय पर भुगतान हो ताकि किसी प्रकार की परेशानी न हो।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका
आंगनवाड़ी केंद्र केवल बच्चों को भोजन कराने तक सीमित नहीं हैं। यहाँ बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा, टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच जैसी सेवाएं भी दी जाती हैं। कार्यकर्ता घर-घर जाकर बच्चों और महिलाओं से जुड़ी जानकारी एकत्र करती हैं और बीमार होने पर स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कराती हैं।
सहायिकाएं कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर भोजन तैयार करने, सफाई रखने और बच्चों की देखभाल में मदद करती हैं। उनकी भूमिका छोटी जरूर लग सकती है लेकिन इनके बिना पूरी योजना अधूरी रहती है। यही कारण है कि इनके मेहनताने में बढ़ोतरी एक बड़ा और स्वागतयोग्य कदम माना जा रहा है।
सरकार का दृष्टिकोण और महत्व
सरकार का मानना है कि आंगनवाड़ी व्यवस्था में सुधार तब तक संभव नहीं जब तक यहाँ काम करने वालों की स्थिति मजबूत न हो। यही कारण है कि हाल में किए गए बजट सुधारों में इनके लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए। केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें इस वेतन वृद्धि का वहन करेंगी।
यह निर्णय ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा देगा और उन्हें समाज में नई पहचान दिलाएगा। बच्चों की शिक्षा और पोषण से जुड़ी जिम्मेदारी निभाने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को अब सामाजिक स्तर पर भी अधिक सम्मान मिलेगा।
भविष्य की उम्मीदें
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लंबे समय से स्थायी नौकरी, पेंशन और बीमा की मांग करती आ रही हैं। वेतन वृद्धि ने उनकी परेशानियाँ कुछ हद तक कम की हैं लेकिन अभी भी उन्हें कई अन्य सुविधाओं की अपेक्षा है। यदि आने वाले समय में सरकार उनकी सामाजिक सुरक्षा और चिकित्सा सुविधाओं की ओर भी ध्यान दे तो यह और भी मजबूत कदम होगा।
इन केंद्रों के बेहतर संचालन से बच्चों का भविष्य सुरक्षित होगा और महिला सशक्तिकरण की दिशा में तेजी आएगी। इस प्रकार यह वेतन वृद्धि पूरे समाज के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आने वाली है।
निष्कर्ष
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं समाज की रीढ़ हैं। उनकी मेहनत और सेवा का मूल्य अब बढ़े हुए मानदेय में दिखा है। यह कदम न केवल उनके जीवन को आसान बनाएगा बल्कि बच्चों के बेहतर भविष्य और परिवारों की खुशहाली का मार्ग भी खोलेगा।